Friday, September 10, 2010

SHYAWHDO








अर्थ 
श्री श्याम द्वारा निर्मित विष्व में प्रत्येक असहाय की सहायता के लिए समर्पित सर्वव्यापी 

हमारा काम
इस अकल्पनीय प्रकृति मै प्रत्येक मानव जीव जन्तु व प्राक्रतिक संपदा की सेवा सुरक्षा हेतु 

धरती जीवन लोकतंत्र आजादी और सम्मान की सुरक्षा करना

चरण 
100% कानून शुद्ध करना
100% कानून लागू करना
असहायों की सहायता करना
जन सेवकों को जन सेवा के लिये बाध्य करना

 जय धरती जय मानवता
विश्व प्राणी न्याय व्यवस्थापक 
श्याडो

जब जब इंसान मानवता को त्याग हैवानियत धारन करता है 
तब तब पीढ़ित पूँछ उठता है अपने ईश्वर से,
की तु है या नही ?
है तो कहॉ है ?
अगर तू है तो दिखा अपना चमत्कार
और  समाप्त कर दे इस हैवानियत के राज़ को,
अगर तु ऐसा न कर सका तो मै समझूगा कि तू सिर्फ मिट्टी का माधो (महादेव यानी पूजने वाला पत्थर) है मुझे सबके लिये खुद ही कुछ करना होगा 
और अंतरध्यान में जबाब ना मिलाने पर व खामोशी बरकरार रैहैंने पर 
करता है वो पीडित बार बार उस हैवानियत का सामना 
और हार कर स्वीकार कर लेता है हैवानियत का गुंडाराज़,
और जब अपने पीडित भक्तों की पीढ़ा नही सह पाते भगवान 
तब करते है इक्षा अपनी शक्तियों को प्रमाणित करने की 
और चुनते है अपने प्रिय भक्तॉ को,
तब वो प्रिय भक्त त्याग देते है अपनी हर भ्रमित सुख सुविधा 
उन पीडितौ की पीड़ा दूर करने के लिये, 
जो है उनके लिये श्रिष्टिपति यानी ईश्वर का आदेश,
और तब समाप्त होता है हैवानियत का गुंडाराज 
और बोल उठता है पीडित,
तुम तो भगवान हो,
और तब मजबूर हो जाते है मौजूदा जीते हुये वर्त्तमान व्यवस्थापक व् व्यवस्थापकों के रचनाकार इतिहासकार शिक्षक व् गाथाकार  
ये सोचने समझाने व् गाने के लिये
की क्या वो सचमुच अवतार व् महाशक्तिमान व्यवस्थापक था
या हमारी तरह एक मानूली प्राणी
परिस्थिति अनुसार शिकार की सोच को समाप्त करने
व् काम को प्रधानता देने के लिये सांकेतिक आदेशो को पूरा करती
भगवान श्री कृष्ण द्वारा उपदेशित सनातन
सनातन
का विस्तारित सोsहम् (soham
व सोsहम् का विस्तारित कर्म प्रधान व्यवस्था

जय श्रिष्टी, जय प्राणी, जय मानवता
श्याडो 

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पलट देंगे धरती पटक  आसमाँ,    मिटा  देंगे हैवानियत के निशाँ// 
अगर जानना है की हम कौन हैं, क्या काम अपना और रैहैते कहाँ// 
हम हैं विश्व  सेवक   रक्षक,  रैहैते  हर  जिगर  दिल व जान में//

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